ज्यूरी ने कहा, ''उन्होंने नियंत्रणीय गति के साथ अणुओं का विकास किया जो ऊर्जा के संचार होने पर किसी लक्ष्य को पूरा कर सकती हैं.'' उसने कहा,''आणविक मोटर उसी स्तर का है जो 1830 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक मोटर का था, जब वैज्ञानिकों ने कई घूमते क्रैंक और पहियों को पेश किया था, हालांकि वे इस बात से अवगत नहीं थे कि वे इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन, वाशिंग मशीन, पंखों और फूड प्रोसेसर की बुनियाद रख रहे हैं.''
ज्यूरी ने कहा कि आणविक मशीनों के नई सामग्री, सेंसर और ऊर्जा भंडारण प्रणाली जैसी चीजों के विकास में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने की आशंका है. तीनों विजेता 80 करोड़ क्रोनर (933,000 डॉलर : की पुरस्कार राशि साझा करेंगे. 'रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज' ने बताया कि इन लोगों ने नियंत्रणीय गति के साथ अणुओं के 'डिजाइन एवं संश्लेषण' के लिए यह पुरस्कार अपने नाम किया है.
सोवेज ने 1983 में पहली बार आणविका मशीन की दिशा में पहला कदम बढ़ाया था और उन्होंने उस समय दो गोल आकार वाले अणुओं को एक कड़ी के तौर पर जोड़ने में सफलता पाई थी.
आमतौर पर अणु बहुत मजबूती से जुड़े होते हैं जिनमें परमाणु, इलेक्ट्रॉन को साझा करते हैं, लेकिन श्रृंखला में वे इससे कहीं ज्यादा मुक्त मशीनी जुड़ाव के माध्यम से जुड़े होते हैं.
आणविक मशीन की दिशा में दूसरा कदम 1991 में स्टाडर्ट ने उस वक्त बढ़ाया जब उन्होंने एक गोलाकार आणिक घेरा को एक कमजोर आणविक धुरी से जोड़ दिया और यह दर्शाया कि यह घेरा इस आणविक धुरी को आगे ले जाने में सक्षम है.
फेरिंगा 1999 में एक आणविक मोटर का विकास करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने. आणविक मोटरों का इस्तेमाल करके उन्होंने एक नैनोकार भी बनाई.
रसायन विज्ञान का यह पुरस्कार विज्ञान के क्षेत्र में इस साल आखिरी नोबेल पुरस्कार और इस सप्ताह घोषित तीसरा नोबेल पुरस्कार है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों डेविड थॉलेस, डंकटन हैल्डेन और माइकल कोस्तरलित्ज ने कल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता. औषधि का नोबेल जापानी जीव वैज्ञानिक योशिनरी ओहसुमी के खाते में गया.
नोबेल शांति पुरस्कार शुक्रवार को घोषित किया जाएगा. अर्थशास्त्र और साहित्य के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी.
नोबेल पुरकार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम और ओस्लो में प्रदान किये जायेंगे .
( यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) स्टॉकहोम: फ्रांस के ज्यां-पियरे सोवेज, ब्रिटेन के जे फ्रैसर स्टाडर्ट और नीदरलैंड के बर्नार्ड फेरिंगा ने बुधवार को आणविक मशीनों के विकास के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता. यह दुनिया की सबसे छोटी मशीनें हैं.
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