मुंबई की हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने 24 अक्टूबर 2016 को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि पुरुषों की तरह ही महिलाओं को भी दरगाह के गर्भ गृह के मुख्य स्थल तक जाने की अनुमति देगा.
उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए हाज़ी अली ट्रस्ट को चार हफ़्ते का समय दिया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे महिलाओं के प्रवेश का इंतजाम करने के लिए वे समय ले सकते हैं.
लेकिन उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पुरुषों की तरह ही महिलाओं को भी दरगाह में प्रवेश की अनुमति देना होगा.
गोपाल सुब्रमणियम ने दरगाह ट्रस्ट का पक्ष रखने के दौरान अतिरिक्त हलफनामे तथा अक्टूबर 2016 को जारी ट्रस्ट की अधिसूचना का भी जिक्र किया एवं वे हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ नहीं हैं.
हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने मार्च 2012 से जून 2012 के मध्य महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया था. इससे पहले महिलाएं केवल मज़ार के बाहर तक ही जा पाती थीं, उन्हें अंदर तक जाने की अनुमति नहीं थी.
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
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