28 अक्टूबर: राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 28 अक्टूबर 2016 से आयुर्वेद दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी. इस अवसर का विषय ''आयुर्वेद के माध्यम से रोकथाम और मधुमेह पर नियंत्रण'' रखा गया. यह आयोजन धनवंतरि जयंती के दिन प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाने के निर्णय के बाद किया गया.
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस से पूरे देश में मिशन मधुमेह एक विशेष रूप से परिकल्पित राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल लागू किया गया. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल भी जारी किया गया.
कई राज्य सरकारों के आयुष विभागों ने इस संबंध में सक्रिय कदम उठाए हैं और मधुमेह के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर, सार्वजनिक व्याख्यान, मधुमेह के रोगियों के लिए मुफ्त आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं जैसे कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई.
केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 28 अक्टूबर 2016 से आयुर्वेद दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी. इस अवसर का विषय ''आयुर्वेद के माध्यम से रोकथाम और मधुमेह पर नियंत्रण'' रखा गया. यह आयोजन धनवंतरि जयंती के दिन प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाने के निर्णय के बाद किया गया.
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस से पूरे देश में मिशन मधुमेह एक विशेष रूप से परिकल्पित राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल लागू किया गया. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल भी जारी किया गया.
कई राज्य सरकारों के आयुष विभागों ने इस संबंध में सक्रिय कदम उठाए हैं और मधुमेह के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर, सार्वजनिक व्याख्यान, मधुमेह के रोगियों के लिए मुफ्त आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं जैसे कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई.
धनवंतरि
• धनवंतरि को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है.
• हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वे भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं तथा इनका पृथ्वी पर अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था.
• इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं.
• इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे.
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