प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय के उद्यमियों की सहायता हेतु लुधियाना में 18 अक्टूबर 2016 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति हब आरंभ किया. इसके साथ ही जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट योजना भी आरंभ की गयी.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए गये तथा आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों की महिलाओं को 500 चरखे भी बांटे गये.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति हब
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए गये तथा आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों की महिलाओं को 500 चरखे भी बांटे गये.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति हब
- इसे प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर आरंभ किया गया है ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की सहायता की जा सके.
- पिछड़े वर्ग के एससी/एसटी लोगों को पेशेवर सहायता देना भी इस कार्यक्रम का उद्देश्य है.
- इस योजना की आरंभिक राशि 490 करोड़ रुपए रखी गयी है एवं इसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया भी जा सकता है.
- इससे उद्यमियों की पहुंच बाज़ार तक करने में तथा उनका संपर्क बढ़ाने, क्षमता विकास, आर्थिक सहायता एवं अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा.
- सार्वजनिक खरीद नीति 2012 के तहत मंत्रालयों, विभागों और सीपीएसई को अपनी कुल खरीद का 4 प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति उद्यमियों से खरीदना होगा.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस योजना की घोषणा वर्ष 2014 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान की गयी थी.
- यह योजना उच्च गुणवत्ता के उत्पादों का उत्पादन करती है तथा पर्यावरण पर कम से कम नकारात्मक प्रभाव डालना इसका लक्ष्य है.
- इसी योजना के तहत लुधियाना में महिलाओं को चरखे बांटे गये.
- इसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम सेक्टर में गुणवत्ता का स्तर बढ़ाना है.
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