केंद्र सरकार ने सेवा क्षेत्र कर्मियों को मतदान हेतु ई-डाक मतदान प्रणाली सुविधा प्रदान की है. भारत सरकार ने यह सुविधा नियमावली 1961 के नियम 23 में संशोधन कर प्रदान की है. केंद्र सरकार ने इस आशय की अधिसूचना 21 अक्टूबर 2016 को जारी की.
ई-मतदान प्रक्रिया-
यह सुविधा सशस्त्र बलों के कर्मियों सहित सेवा क्षेत्र में काम करने वाले मतदाताओं को प्रदान की जाएगी.इस प्रणाली के तहत उनको एक खाली डाक मतपत्र इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जाएगा.इस तरीके से डाक सेवा द्वारा मतपत्र भेजने और फिर मंगाने की प्रक्रिया में लगने वाले समय में काफी बचत होगी.दूर और सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यरत खासकर सशस्त्र बलों के कर्मियों को इस सुविधा से काफी फायदा होगा.डाक सेवाओं द्वारा मतपत्र को दो तरह से संचरण (भेजने-लाने) की वर्तमान प्रणाली मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं थी.
पृष्ठभूमि-
दूर और सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यरत खासकर सशस्त्र बलों के कर्मचारी मतदान के समय ओना मत नहीं डे पाते तजे इसी कारण सरकार ने यह सुविधा प्रदान की है.इस मामले में नीला गोखले बनाम भारत सरकार और एएनआऱ (रिट याचिका सं 1005/2013) के द्वारा यह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में भी लाया गया.रिट याचिका में मांग की गई कि सशस्त्र बलों के कर्मियों (एएफपी) और उनके परिवार के सदस्यों को मत देने की प्रक्रिया को और सुलभ बनाने हेतु कोई प्रभावी तंत्र विकसित किया जाए.सरकार ने दूर और सीमावर्ती क्षेत्रों के कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए मतदान की प्रक्रिया में सुगमता लाने हेतु चुनाव आयोग को अवगत कराया.चुनाव आयोग की तकनीकी टीम ने प्रणाली विकसित की. जिसमें खाली डाक मतपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से अर्थात् ई-डाक मतपत्र मतदाता को भेजा जा सकता है.मतदाता जो पोस्टल मतपत्र के योग्य हैं डाक मतपत्र को डाउनलोड कर मुद्रित (प्रिंट) कर सकते हैं.वर्तमान में पोस्टल मतदान प्रणाली में डाक मतपत्र में अपना वोट दर्ज करने के बाद डाक के माध्यम से उसे संबंधित निर्वाचन अधिकारी को भेजा जाता है.
जिनको मिलेगी यह सुविधा-
भारत सरकार के सशस्त्र बलों के कर्मी सेना अधिनियम, 1950 के प्रावधानों तहत आने वाले अन्य बलों के कर्मीराज्य के बाहर काम कर रहे राज्यों के सशस्त्र बलों के कर्मीभारत से बाहर भारत सरकार के अधीन कार्यरत कर्मी हेतु यह सेवा शुरू की गई है.दो-तरफा इलेक्ट्रॉनिक संचरण सुरक्षा और गोपनीयता कारणों से निर्वाचन आयोग द्वारा अनुशंसित नहीं किया गया है.
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