भूतत्वीय संरचना भी प्राकृतिक संरचना की तरह तीन भागों में बांटी जा सकती है: हिमाचल तथा उससे संबद्ध पहाड़ों का समूह, सिंधु और गंगा का मैदान तथा प्रायद्वीपीय भाग।
उत्तर में हिमालय पर्वत का क्षेत्र, पूर्व में नगालुशाई पहाड़, पर्वत निर्माण प्रक्रिया के क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र का बहुत सा भाग, जो अब संसार में कुछ मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, लगभग 60 करोड़ वर्ष पहले समुद्र था। लगभग 7 करोड़ वर्ष पहले शुरु हुई पर्वत-निर्माण प्रक्रिया के क्रम में तलछट और चट्टानों के तल बहुत ऊंचे उठ गए। उन पर मौसमी और कटाव तत्वों ने काम किया, जिससे वर्तमान उभार अस्तित्व में आए। सिंधु और गंगा के विशाल मैदान कछारी मिट्टी के भाग हैं, जो उत्तर में हिमालय को दक्षिण के प्रायद्वीप से अलग करते हैं।
प्रायद्वीप अपेक्षाकृत स्थायी और भूकंपीय हलचलों से मुक्त क्षेत्र है। इस भाग में प्रागैतिहासिक काल की लगभग 380 करोड़ वर्ष पुरानी रूपांतरित चट्टानें हैं। शेष भाग गोंडवाना का कोयला क्षेत्र तथा बाद के मिट्टी के जमाव से बना भाग और दक्षिणी लावे से बनी चट्टानें हैं।
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