भारत का जंतु विज्ञान संबंधी सर्वेक्षण (जेड एसआई) जिसका मुख्यालय कोलकाता में है और 16 क्षेत्रीय स्टेशन है, भारत के जंतु संसाधन के सर्वेक्षण हेतु उत्तरदायी है। भारत में जलवायु और भौतिक दशाओं की अत्यधिक विविधता होने के कारण जंतुओं की 89451 प्रजातियों के साथ अत्यधिक विभिन्नता है जिसमें प्रोटिस्टा, मोलस्का, एंथ्रोपोडा, एम्फीबिया, स्तनधारी, सरिसृप, प्रोटोकोर डाटा के सदस्य पाइसेज, एब्स और अन्य इंवर्टीब्रेट्स शामिल हैं।
स्तनधारियों में शाही हाथी, गौड़ अथवा भारतीय बाइसन, जो मौजूदा गो जातीय पशुओं में विशालतम होता है, भारतीय गौंडा, हिमाचल की जंगली भेड़, हिरण, चीतल, नील गाय, चार सींगों वाला हिरण, भारतीय बारहसिंहां अथवा काला हिरण, इल वंश का अकेला प्रतिनिधि, शामिल हैं। बिल्लियों में बाघ और शेर सबसे अधिक विशाल हैं ; अन्य शानदार प्राणियों में धब्बेदार चीता, साह चीता, रेखांकित बिल्ली आदि भी पाए जाते हैं। स्तनधारियों की कई अन्य प्रजातियाँ अपनी सुन्दरता, रंग आभा और विलक्षणता के लिए उल्लेखनीय हैं। जंगली मुर्गी, हंस, बत्तख, मैना, तोता, कबूतर, सारस, धनेश और सूर्य पक्षी जैसे अनेक पक्षी जंगलों और गीले भू-भागों में रहते हैं।
नदियों और झीलों में मगरमच्छ ओर घडियाल पाये जाते हैं, घडियाल विश्व में मगरमच्छ वर्ग का एक मात्र प्रतिनिधि है। खारे पानी का घडियाल पूर्वी समुद्री तट और अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में पाया जाता है। वर्ष 1974 में शुरू की गई घडियालों के प्रजनन हेतु परियोजना घडियाल को विलुप्त होने के बचाने में सहायक रही है।
विशाल हिमालय पर्वत जंतुओं की अत्यंत रोधक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं जिन में जंगली भेड़ और बकरियाँ, मारखोर, आई बेकस, थ्रू ओर टेपिर शामिल है। पांडा और साह चीता पर्वतों के ऊपरी भाग में पाए जाते हैं।
कृषि का विस्तार, पर्यावरण का नाश, अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण, सामुदायिक संरचना में विषों का असंतुलन शुरु होने, महामारी, बाढ़, सूखा और तूफानों के कारण वनस्पति के आच्छादन में क्षीणता फलस्वरूप वनस्पति और जन्तु समूह की हानि हुई है। स्तनधारियों की 39 प्रजातियाँ, पक्षियों की 72 प्रजातियाँ,सरीसृप वर्ग की 17 प्रजातियाँ, एम्फीबियन की 3 प्रजातियाँ, मछलियों की दो प्रजातियाँ, और तितलियों, शलभों और भृंगों की काफी संख्या को असुरक्षित और संकट में माना गया है।
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