अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) द्वारा कश्मीर के रेड स्टैग (हंगुल) को विलुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में शामिल किया गया.
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार 1940 में 3000 से 5000 हंगुल मौजूद थे जबकि ग्रेटर दाचीगम लैंडस्केप के 1000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में केवल 150 ही जीवित रह पाए हैं. इससे पूर्व आईयूसीएन ने इसे यूरोपियन एवं विश्व के अन्य लाल हिरन की श्रेणी में शामिल करके विलुप्त होने की संभावना की श्रेणी में शामिल किया.
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार 1940 में 3000 से 5000 हंगुल मौजूद थे जबकि ग्रेटर दाचीगम लैंडस्केप के 1000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में केवल 150 ही जीवित रह पाए हैं. इससे पूर्व आईयूसीएन ने इसे यूरोपियन एवं विश्व के अन्य लाल हिरन की श्रेणी में शामिल करके विलुप्त होने की संभावना की श्रेणी में शामिल किया.
कश्मीर का रेड स्टैग
• कश्मीर का स्टैग भारत के एल्क प्रजाति से सम्बंधित है.
• यह घने जंगलों एवं कश्मीर की पहाडियों पर पाया जाता है. इसके अतिरिक्त इसे हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी देखा गया है.
• कश्मीर में यह दाचीगम राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है जहां इसे संरक्षित किया गया है लेकिन अन्य स्थानों पर यह खतरे में रहता है.
• वर्ष 1940 के बाद इसके निवास स्थान को हुए नुकसान एवं इसके जीवनयापन के लिए आवश्यक सुविधाओं में कमी के कारण यह विलुप्त होने लगा.
• इसे पहले लाल हिरन की ही प्रजाति माना जाता था लेकिन बाद में हुए डीएनए टेस्ट एवं अन्य परीक्षणों के कारण इसे भिन्न प्रजाति घोषित किया गया.
• कश्मीर का स्टैग भारत के एल्क प्रजाति से सम्बंधित है.
• यह घने जंगलों एवं कश्मीर की पहाडियों पर पाया जाता है. इसके अतिरिक्त इसे हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी देखा गया है.
• कश्मीर में यह दाचीगम राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है जहां इसे संरक्षित किया गया है लेकिन अन्य स्थानों पर यह खतरे में रहता है.
• वर्ष 1940 के बाद इसके निवास स्थान को हुए नुकसान एवं इसके जीवनयापन के लिए आवश्यक सुविधाओं में कमी के कारण यह विलुप्त होने लगा.
• इसे पहले लाल हिरन की ही प्रजाति माना जाता था लेकिन बाद में हुए डीएनए टेस्ट एवं अन्य परीक्षणों के कारण इसे भिन्न प्रजाति घोषित किया गया.
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