योशिनोरी ओसुमी को ऑटोफैगी के क्षेत्र में रिसर्च के लिए यह नोबेल दिया गया है. ऑटोफैगी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकाएं ‘‘खुद को खा जाती हैं’’ और उन्हें बाधित करने पर पार्किनसन और मधुमेह जैसी बीमारियां हो सकती हैं. ऑटोफैगी कोशिका शरीर विज्ञान की एक मौलिक प्रक्रिया है जिसका मानव स्वास्थ्य एवं बीमारियों के लिए बड़ा निहितार्थ है. अनुसंधानकर्ताओं ने सबसे पहले 1960 के दशक में पता लगाया था कि कोशिकाएं अपनी सामग्रियों को झिल्लियों में लपेटकर और लाइसोजोम नाम के एक पुनर्चक्रण कंपार्टमेंट में भेजकर नष्ट कर सकती हैं.
नोबेल प्राइज देने वाली संस्था के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस संबंध में ट्वीट किया गया है. ऑटोफैगी एक शारीरिक प्रक्रिया है जो शरीर में कोशिकाओं के हो रहे क्षरण से निपटती है. पुरस्कार मिलने के बाद ओशिनोरी ने कहा कि खबर से मैं काफी चकित रह गया था. जब मुझे सूचना मिली तब मैं लैब में था. नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कारों को देने वाली संस्था ने सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए जापान के योशिनोरी ओसुमी को नोबेल देने की घोषणा की है. ओसुमी सेल बायोलॉजिस्ट हैं.
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