जापान ने 11 नवंबर 2016 को भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते से परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के उद्योगों के बीच गठजोड़ हेतु रास्ता साफ हो गया.
दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए नौ अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए. समझौते पर हस्ताक्षर से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ विस्तृत बातचीत की.
समझौते के बारे में-
समझौते के बारे में-
- दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग से जुड़ा करार शामिल है.
- जो स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के निर्माण के संदर्भ में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है.
- दोनों देशों के बीच छह साल से अधिक समय तक इस मामले गहन बातचीत और विचार विमर्श के बाद परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए हैं.
- जापानी प्रधानमंत्री के अनुसार यह समझौता एक कानूनी ढांचा है जो भारत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य को लेकर तथा परमाणु अप्रसार की व्यवस्था में भी जिम्मेदारी के साथ काम करेगा.
- भारत एनपीटी में भागीदार अथवा हस्ताक्षरकर्ता नहीं है.
- यह परमाणु समझौता विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने की जापान की आकांक्षा के अनुरूप है.
- द्वितीय विश्वयुद्ध की त्रासदी के बाद परमाणु प्रसार को लेकर जापान का पारंपरिक तौर पर कड़ा रूख रहा है.
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