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Tuesday, 29 November 2016

रेलवे ने ट्रांसजेंडर को रेल आरक्षण फॉर्म में तीसरे लिंग के रूप में शामिल किया

भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी ने टिकट आरक्षण और टिकट रद्द कराने वाले फॉर्म में महिला एवं पुरुष के साथ-साथ ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में शामिल कर लिया है.

यह निर्णय एक अधिवक्ता की याचिका पर किया गया. टिकट आरक्षण और रद्द कराने के अलावा यह सुविधा ऑनलाइन और ऑफलाइन भी उपलब्ध होगी.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में दिल्ली के अधिवक्ता से याचिका पर कार्रवाई हेतु रेलवे मंत्रालय से संपर्क करने को कहा था.
मंत्रालय ने शीर्ष न्यायालय के अप्रैल-2014 के निर्देशों के संदर्भ देते हुए बताया कि हिजड़ा, किन्नर और बाइनरी के अधिकारों की रक्षा हेतु अब उन्हें तीसरे लिंग के रूप में माना जाएगा.

उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में संविधान के तृतीय भाग और संसद के द्वारा बनाये गये कानून के तहत हिजड़ा और किन्नर के साथ-साथ बाइनरी के अधिकारों की रक्षा हेतु उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने का निर्देश दिया था.
परिपत्र के निर्देशों के तहत टिकट आरक्षण, रद्द कराने के फार्म में महिला और पुरुष के साथ-साथ ट्रांसजेंडर का विकल्प भी शामिल करने का निर्णय किया गया है.

ट्रांसजेंडरों को रेलवे टिकट पूरी कीमत पर मिलेगा -
  • हिजड़ा और किन्नर को पूरी कीमत पर टिकट जारी किया जाएगा.
  • अधिवक्ता जमशेद अंसारी ने उच्च न्यायालय में दायर अपनी जनहित याचिका में इसे आईआरसीटीसी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन बताया.
  • अधिवक्ता ने भारतीय रेलवे से शीर्ष न्यायालय के निर्णय के अनुपालन और सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के हिसाब से रियायत देने की मांग भी की थी.
  • इसके अलावा याचिका में ट्रांसजेंडर समुदाय की ‘देखभाल एवं अधिकारों की रक्षा’ हेतु सभी ट्रेनों में विशेष बोगियां एवं आरक्षित सीटें लगाने की भी मांग की थी.
  • मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेलवे मंत्रालय से याचिका का संज्ञान लेने को कहा.

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