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Friday 4 November 2016

 देश में खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुआ

देशभर में 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो गया. केरल और तमिलनाडु ने खाद्य सुरक्षा कानून को इसी महीने अपने अपने राज्य में लागू किया.

खाद्य सुरक्षा कानून से लाभ-

इस अहम कानून के देश में लागू होने जाने से जरूरतमंद लोग सस्ता सरकारी राशन लेने के अधिकारी हो जाएँगे.केन्द्र सरकार हर महीने 45.5 टन अनाज राज्यों को मुहैया करवाएगी और सालाना 1 लाख 40 हजार सब्सिडी राज्यों को देगी.उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के अनुसार केन्द्र सरकार देशभर में जरूरत मंद लोगों जिन्हे सरकारी अनाज की जरूरत है उनकी जरूरत को तय वक्त में पूरा करने के प्रयास कर रही है.

पृष्ठभूमि-

2014 से ही इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. पूर्व में  खाद्य कानून केवल 11 राज्यों में लागू था. उसी वक्‍त से समय-समय पर विभिन्‍न राज्‍यों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया.इस महीने दो राज्यों केरल और तमिलनाडु के कानून अपनाने से ये प्रक्रिया देशभर में पूरी हो गई है.राशन की चोरी और कालाबाजारी को रोकने हेतु देश भर में लाभान्वितों की  सूची को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है.खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 80 करोड़ लोगों को राशन मिलने का अनुमान है.प्रत्येक सरकारी गोदाम में अनाज की एंट्री भी आनलाइन की जाएगी. 

केन्द्र सरकार के निर्देश-

केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्यों को भेजा गया सब्सिडी का राशन रखा नहीं जाना चाहिए बल्कि जल्द ही जनता को बाट दिया जाना चाहिए.राज्यों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि अगर राज्य की सरकारों को राशन बटवाने में दिक्कत आ रही है तो केन्द्र सरकार पोस्ट ऑफिस के जरिए राशन भी बंटवाएगी.केन्द्र सरकार ने ये भी दावा किया कि 1874 करोड़ रुपए देशभर के राज्यों को भेज दिए गए हैं ताकि फेयर प्राइस शाप जहां से राशन वाजिब दाम पर जनता को मिलते हैं उनको बनाया जा सके और सही तरीके से सरकारी अनाज को सरकारी गोदाम में पहुंचाया जाए.

2013 में पारित हुआ कानून-

खाद्य सुरक्षा कानून वर्ष 2013 में पारित किया गया.खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकार प्रति व्यक्ति हर महीने एक से तीन रुपए प्रति किलो की दर से पांच किलो खाद्यान्न देती है.

खाद्य सुरक्षा विधेयक-

योजना के लाभार्थियों को दो भागों में बांटा गया है– प्राथमिकता वाले परिवार (जैसे बीपीएल या ग़रीबी रेखा से नीचे आने वाले लोग) और सामान्य परिवार (जैसे एपीएल या ग़रीबी रेखा से ऊपर आने वाले लोग).इस विधेयक के तहत सरकार प्राथमिकता श्रेणी वाले प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो चावल और गेहूं देगी. चावल तीन रुपए और गेहूं दो रुपए प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा.जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों को कम से कम तीन किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे दाम पर दिया जाएगा.ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आबादी को इस विधेयक का लाभ दिया जाएगा, जिसमें से कम से कम 46 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा.शहरी इलाक़ों में कुल आबादी के 50 फ़ीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी और इनमें से कम से कम 28 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा.

संशोधित प्रावधान-

संशोधित मसौदे के प्रावधानों के तहत देश की 63.5 प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी.संशोधित मसौदे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा.खाद्य मंत्री के मुताबिक़ स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1,000 रुपए भी दिए जाएंगें.इस विधेयक में ऐसा भी प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर सरकार प्राकृतिक आपदा के कारण लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाती है, तो योजना के लाभार्थियों को उसके बदले पैसा दिया जाएगा.

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