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Thursday 25 August 2016

जी एस टी बिल 2016 | GST Bill 2016 In Hindi

जी एस टी बिल 2016 | GST Bill 2016 In Hindi
GST Bill 2016 In Hindi- Goods And Service Tax Bill In Hindi 

3 अगस्त, 2016 को हमारे देश भारत में जी एस टी बिल पारित किया गया हैं.वस्तु एवं सेवा कर बिल पारित होने की सभी देश वासियों को बहुत बहुत बधाई.
जी एस टी बिल एक कर संबंधी बिल [Tax related Bill] हैं, जो देशवासियों पर कर लगाएगा तो आखिर इस बिल में ऐसा क्या हैं, जिसके पास होने पर देशवासी इसकी खुशियाँ मना रहें हैं ?
सरल शब्दों में कहा जाये तो अब लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक नया टैक्स लगेगा और वह होगा –GST. साथ ही पहले जो भी टैक्स लगते थे, वे अब नहीं लगेंगे. अब प्रश्न यह उठता हैं कि जब टैक्स दोनों ही स्थितियों में देना हैं तो आखिर इसमें नया क्या हैं और इससे देश की जनता को क्या फायदा होगा ? फायदा जरुर होगा क्योंकि GST Bill पास होने से अब पूरे देश में एक ही रेट से टैक्स लगेगा और चूँकि यह सम्पूर्ण देश पर लगेगा तो इसके अलावा कोई और टैक्स भी नहीं देना होगा.
जी एस टी [अमेंडमेंट] बिल, जिसे राजकीय तौर पर [Officially] The Constitution [122ndAmendment] GST Bill, 2014 के नाम से जाना जाता हैं. देश के कर संबंधी ढांचे में स्वतंत्रता के बाद यह सबसे बड़ा सुधार हैं, जिसका फायदा आम आदमी को होगा. यह बिल राज्य सभा द्वारा 3 अगस्त, 2016 को पारित किया गया, जिसे लोक सभा द्वारा मई, 2015 में पारित किया जा चुका था. 
क्षेत्रीय विस्तार [Territorial extent]भारतकानून बनाया गया [Enacted by]लोक सभा और राज्य सभा दोनों द्वारा पारित होने परराज्य सभा में बिल पारित होने की तिथि [Date of passing in Rajya Sabha]3 अगस्त, 2016लोक सभा में बिल पारित होने की तिथि [Date of passing in Lok Sabha]मई, 2015बिल लाने का विचार [Introduce by]वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा
वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अंतर्गत जून, 2016 से नेशनल वैल्यू एडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं.
जी एस टी बिल एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर हैं, जो व्यापक पैमाने पर पूरे देश के निर्माता, व्यापारी और वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं पर लगेगा. यह टैक्स अन्य टैक्सो को हटा देगा, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये गये हैं. वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी – बिक्री के प्रत्येक चरण पर लगने वाले इस टैक्स में ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट मेथड’ लगेगी. इस मेथड के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अधीन पंजीकृत व्यवसायों को टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा मिलेगी, जिन्होंने अपनी सामान्य व्यवसायिक गतिविधियों के दौरान यह टैक्स का भुगतान किया था. कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं को एक – दुसरे से अलग परिभाषित नहीं किया गया हैं और इसके साथ ही कर की दर भी एक समान ही रखी गयी हैं, जो पूरी सप्लाई चैन पर लगेगी, जिसके द्वारा वह वस्तु या सेवा अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचेगी. वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर हीकर लगाने के लिए एक ही अथॉरिटी जिम्मेदार होगी. निर्यात [एक्सपोर्ट] पर शून्य दर [Zero rated] के साथ आयात पर घरेलु करों [Domestic Tax] के ही सामान टैक्स लगाया जाएगा.
वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) भारत में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बदलाव का एक बहुत बड़ा कदम हैं. विभिन्न केन्द्रीय करों और राज्य करों को मिलाना या समाप्त करना और इनके स्थान पर एक नये कर लगाने से दोहरे करारोपण [Double Taxation] और केस्केडिंग इफ़ेक्ट [Cascading effect] ख़त्म होगा और इसका फायदा राष्ट्रीय बाज़ार को मिलेगा. अगर एक आम आदमी के दृष्टिकोण से देखा जाये, तो उसके द्वारा चुकाए जाने वाले सभी करों की मात्रा में कमी आ जाएगी, जिनका भार वह आज लगभग 25% – 30% तक वहन करता हैं.
भारत में जी एस टी बिल के लागु होने पर यह कुछ समय के लिए शून्य दर के साथ अथवा बहुत ही कम दर के साथ लगाया जाएगा. शुरूआती चरणों में राज्यों की आय को GST के प्रभाव से दूर ही रखा जाएगा, परन्तु पेट्रोलियम और पेट्रोलियम पदार्थों पर GST Bill की दरें ही लगायी जाएंगी. मंत्री श्री जयंत सिन्हा के अनुसार : इस स्थिति में राज्यों को उनकी आय के संबंध में 5 सालों तक [या 5 सालों से कम समय तक] जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र के द्वारा राज्यों को की  जाएगी.

संसदीय इतिहास और एम्पावर्ड कमिटी [History in Parliament & Empowered Committee]-:
केन्द्रीय बजट 2006 – 2007 के दौरान 28 फरवरी, 2006 को केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा घोषणा की गयी कि GST Bill 1 अप्रैल, 2010 को रखा जाएगा और इसके निर्माण में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.इस घोषणा के बाद राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी ने 10 मई, 2007 को इस उद्देश्य की पूर्ति हेतुजॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का निश्चय किया.इस जॉइंट वर्किंग ग्रुप के संगठन के बाद विभिन्न वित्त विशेषज्ञों, आदि से चर्चाओं और बातचीत के बाद 19 नवम्बर, 2007 को अपनी रिपोर्ट एम्पावर्ड कमिटी के सामने प्रस्तुत की.27 नवम्बर, 2007 को एम्पावर्ड कमिटी के समक्ष रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा और इसके अनुरूप कुछ बदलावों के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार.30 अप्रैल, 2008 को यह फाइनल रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी.12 दिसम्बर, 2008 को भारत सरकार द्वारा इस पर अपने कमेंट दिए गये.16 दिसम्बर, 2008 को एम्पावर्ड कमिटी ने इन कमेंट्स को स्वीकार किया गया.

वैधानिक इतिहास [Legislative History]-:
सन 2000 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी बनायीं  इसे बनाने का उद्देश्य वर्तमान टैक्सो को हटाकर नये वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) को लाने के लिए मॉडल बनाना था. यह एम्पावर्ड कमिटी पश्चिम बंगाल के वित्त और एक्साइज मंत्री असीम दासगुप्ता के प्रतिनिधित्व में काम कर रही थी.

जी एस टी बिल में शामिल मुख्य बातें [Salient features of Goods & Service Tax Bill]-:
इस बिल के अंतर्गत GST Bill के दो भाग होंगे, जिनके नाम और संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार हैं -:केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला -: केन्द्रीय जी एस टी,राज्य द्वारा लगाया जाने वाला  -: प्रांतीय जी एस टी.
दोनों GSTs की कर की दरें क्या होंगी, इसे निर्धारित किया जाएगा, जो कि इनकी आय [Revenue] और स्वीकार्यता [Acceptability] को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. यह दोहरा  मॉडल [Dual GST Model] विभिन्न प्रान्तों में लागु किया जाएगा.
साथ ही कर लगाने के नियम [Tax Provosions], कर योग्य आय [Taxable Income], कर योग्य व्यक्ति [Assessee] और कर की परिभाषाएं [Defination of Tax] सभी प्रान्तों में एक समान ही होगी.
केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST सभी सेवाओं और वस्तुओं पर लगाया जाएगा. परन्तु इसके अंतर्गत केवल वे वस्तुएं और सेवाएँ शामिल नही होगी, जिन्हें GST Bill के क्षेत्र से बाहर रखा गया हैं अथवा जो GST Bill में करमुक्त [Exempt] की श्रेणी में आती हैं अथवा यदि व्यवहार [Transaction] निर्धारित सीमा [Threshold Limit] से कम मूल्य का हो तो, वो भी जी एस टी बिल में शामिल नहीं होगा.केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST का भुगतान केंद्र और राज्य के खातों [Accounts] में अलग – अलग होगा. यहाँ ये तय किया जाना जरुरी हैं कि इन खातों को संभालने वाले प्रमुख [Heads] को इसकी जानकारी हो कि कौनसी आय, किस खाते में जाएगी.चूँकि दोनों ही करों का भुगतान पृथक रूप से होगा तो केन्द्रीय जी एस टी बिल के रूप में भरे गये टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में उपयोग तो किया जा सकता हैं, परन्तु इसका उपयोग केवल केन्द्रीय GST के भुगतान में ही किया जा सकेगा.इनपुट टैक्स क्रेडिट का केन्द्रीय और प्रांतीय GST के आपसी भुगतान में इसका उपयोग संभव नहीं हैं. परन्तु IGST मॉडल के अंतर्गत अंतरप्रांतीय [Inter – state transaction] व्यव्हार हो तो ऐसा किया जाना संभव हैं.केंद्र और प्रान्त द्वारा इकट्ठे हुए क्रेडिट के पुनर्भुगतान [Refund] को अवोइड [Avoid] ही किया जाएगा, परन्तु यदि व्यवहार ऐसा हो जो निर्यात [एक्सपोर्ट] संबंधी हो, कैपिटल गुड्स की खरीदी संबंधी हो, इनपुट टैक्स रेट, आउटपुट टैक्स रेट से ज्यादा हो, आदि स्थितियों में पुनर्भुगतान कर दिया जाएगा, जो कि निर्धारित समय सीमा में ही पूर्ण किया जाना आवश्यक हैं.केन्द्रीय और प्रांतीय GST को लगाने का तरीका और प्रक्रिया को समान ही रखा जाएगा और इस प्रक्रिया का विवरण केन्द्रीय और प्रांतीय GST के अंतर्गत किया जाएगा.चूँकि VAT हर राज्य में अलग- अलग दर से लगता हैं, अतः इसे ख़त्म कर दिया जाएगा और सभी राज्यों में कर की सामान दरें लगायी जाएगी. यदि इससे राज्यों की आय में नुकसान होता हैं तो इसकी भरपाई केंद्र द्वारा की जाएगी. साथ ही दोहरे कराधान [Double Taxation] और छोटे व्यापारियों और उद्योगों के लिए एक थ्रेसहोल्ड लिमिट बनाई गयी हैं, जिसमें सेवा और वस्तु दोनों ही के लिए राशि निर्धारित की गयी हैं.जी एस टी बिल के अंतर्गत कम्पौन्डिंग [compounding] के लिए ग्रॉस एनुअल टर्नओवरके संबंध में इसकी उच्चतम सीमा [Upper Ceiling] और फ्लोर टैक्स रेट को ध्यान में रखा जाएगा. ग्रॉस एनुअल टर्नओवर के 50 लाख रूपये पर और 0.5% फ्लोर टैक्स रेट पर कट ऑफ प्रदान किया जाएगा. इस स्कीम के अंतर्गत कम्पौन्डिंग [compounding] कट ऑफ़ से कम के टर्नओवर वाले डीलर्स को GST में पंजीकृत होने की सुविधा दी गयी हैं.केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST के अंतर्गत आने वाले सभी करदाताओं को सामयिक [Periodical] रिटर्न भरने होंगे, इन रिटर्न्स का फोर्मेट एक समान ही होगा.प्रत्येक कर दाता को PAN लिंक्ड टैक्सपेयर आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जएगा, जो 13/15 डिजिट का होगा. यह आयकर [Income tax] के अनुसार इससे भी जुड़ा होगा, जिससे दोनों विभागों के बीच जानकारी का आदान – प्रदान और नियमों का पालन [Compliance] हो सकें.करदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कर निर्धारण [Tax Assessment], स्क्रूटिनी और ऑडिट आदि उसी अथॉरिटी के पास होंगे, जो टैक्स कलेक्ट करती हैं.

जी एस टी बिल के अंतर्गत टैक्स दरें  [Tax rates under GST Bill]-:
GST Billके अंतर्गत टैक्स की दरें कम होगी, परन्तु करदाताओं कि संख्या लगभग 5 से 6 गुना तक बढ़ जाएगी, अतः इससे केंद्र और राज्य की आयों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. टैक्स का दायरा बढने के कारण सरकार को आय संबंधी लाभ प्राप्त होंगे. कर की दरें सभी जगह एक समान होगी, जो अभी तय की जाना हैं.

जी एस टी बिल से होने वाले प्रमुख फायदें  [Benefits Of GST Bill In Hindi Goods And Service Tax ]-:
GST लागु होने से टैक्स चोरी [Tax Evasion] में कमी आएगी.GST से कम विकसित [Under develope] राज्यों को अधिक आय प्राप्त होगी.GST से छोटे व्यवसायों को भी सपोर्ट मिलेगा और क्षेत्रीय पक्षपात [Location Bias] भी ख़त्म होंगे.

GST की कार्य प्रणाली [How will GST work ?] -:
GST किस प्रकार काम करेगा, इसे निम्न उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता हैं -:

व्यवहार [Transaction]                                   र्तमान प्रणाली [Current System].     GSTप्रणाली [GST System]
कच्चे माल की लागत[Cost of Raw Material]                    100                                          100.   
टैक्स*                                                                                10                                            10                   

निर्माता द्वारा जोड़ी गयी कीमत
[Value added by Manufacturer]                                        20                                             20                   

निर्माता द्वारा चुकाया गया टैक्स*
[Tax payable by Manufacturer]                                         2                                               2
                                                                               
                                                                         [CENVET : 20       *10%]             [GST: 20         *10%]

रिटेलर की कुल लागत
[Retailer’s Cost]                                                            132                                                132

रिटेलर का मार्जिन
[Retailer’s margin]                                                         20                                                   20


कुललागत                                                                          152                                                 152



सेल्सटैक्स[Sales Tax]*                                                     15.2                                                  2

                                                                        [Sale’s Tax : 152   *10%]                    [GST: 20     *10%]

उपभोक्ता के लिए कीमत
[Final price paid inclusive of all taxes]                         167.2                                            154


कुल टैक्स [Total Tax]*                                                       27.2                                              14
यहाँ टैक्स में अंतर केवल इसीलिए आया हैं क्योंकि जी एस टी बिल में केवल उसी बढ़त पर टैक्स लगता हैं, जो वह निर्माता स्वयं या व्यापारी स्वयं लगाता हैं, ना कि पहले की गयी बढ़त पर भी टैक्स देना होता हैं.
वहीँ करंट प्रणाली में टैक्स इसीलिए ज्यादा हैं, क्योंकि उसमे अंतिम उपभोक्ता को उस मूल्य पर भी टैक्स देना पड़ता हैं, जिस पर निर्माता और व्यापारी टैक्स दे चुके हैं. इस प्रभाव टैक्स के दोहरी गणना [Double Taxation] के कारण ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता हैं. अतः जी एस टी बिल देश की जनता के फायदे में हैं.

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